एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक अब्दुल गनी बरादर (Abdul Ghani Baradar) को आतंकी संगठन हक्कानी गुट से मतभेद की कीमत चुकानी पड़ी है. बरादर के डिमोशन से पश्चिमी देशों को भी दिक्कत है क्योंकि शांति वार्ता का मुख्य चेहरा बरादर ही था. आतंकी हक्कानी गुट की मजबूत होती मौजूदगी तालिबान के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है.
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