गांधी और अन्य की ओर से पेश हुए दातार ने न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ के समक्ष तर्क दिया कि जहां दुर्लभतम मामले ही आमने सामने आये (फेसलेस) बगैर ही आकलन से बाहर जाते हैं, यहां तक कि जो मामले स्थानांतरित किए जाते हैं वे संबंधित आकलन अधिकारी को ही स्थानांतरित किये जाते है, न कि केंद्रीय सर्कल को.
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